क्या होता है जब मैं येशु मसीह को अपना प्रभु और उद्धार करता स्वीकार करता हूँ ?
एक दिन बिल्कुल मैं ने प्रभु येशु से कहा, “प्रभु येशु, मैं आप को मेरे प्रभु और उद्धार कर्ता के रूप में स्वीकार करता हूँ | मैं चाहता था कि आप मेरे जीवन के परमेश्वर बने |” मैं ने अपने निजी पापमय रास्ते पर चलना बंद कर दिया|अब मैं मुड़ कर प्रभु येशु के पीछे चलने लगा मैं प्रभु येशु के पीछे क्यों चलना चाहता हूँ ? क्यों कि मैं ने उन्हें अपना उद्धार कर्ता स्वीकार किया है | एक उद्धार कर्ता ऐसा व्यक्ति होता है जो हर खतरे से मुझे बचाता है | यदि मैं डूब रहा हूँ और कोई मुझे बचाता है वह मेरा बचानेवाला( उद्धार कर्ता) कहलाता है | प्रभु येशु मेरा उद्धार कर्ता है क्यों कि उन्होंने मुझे मेरे सारे पापों से छुटकारा दिया है |मैं जब परमेश्वर के दिए गए नैतिक नियमों को तोड़ता हूँ , तो मैं पाप करता हूँ |ऐसे में जल्दी ही मुझ पर मेरे पापों का पहाड़ खड़ा हो जाता है – वह पाप जो मैं ने परमेश्वर के विरुद्ध कियें हैं | ये पाप मुझे एक पवित्र परमेश्वर से अलग करते है | मैं उनके पास नहीं जा सकता हूं और ना ही मेरी प्रार्थनाएं उनके पास तक पहुँच सकती है|
परमेश्वर उन पापों के लिए मुझे सजा देगा,अब मुझे क्या करना चाहिए ?
- एक दिन मैं ने सुसमाचार सुना कि प्रभु येशु ने स्वयं मेरी सजा अपने ऊपर ले लेने के लिए स्वर्ग से धरती पर जनम लिया और मेरी जगह उन्हों ने क्रूस पर अपनी जान देदी ।
- मैं ने सुना मृत्यु के बाद वे फिर से जी उठे ।
- उनके मारे जाने और दफ़न करने के तीन दिन बाद प्रभु येशु उसी शरीर में फिर से जी उठें अब वे स्वर्ग में है ।
- मैं ने सुना है कि वे आकाश और पृथ्वी के सर्वोच्च शासक है ।
वचन कहता है: “प्रभु येशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा सारा घराना उद्धार पाएगा |” प्रेरितों 16:31 मैं प्रभु येशु के इस सुसमाचार को तहे दिल के साथ विश्वास करता हूँ |
प्रार्थना: धन्यवाद, प्रभु येशु ! आप मेरे उद्धारकर्ता और मेरे परमेश्वर हैं, मैं आपकी आराधना करता हूँ |